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torai ki kheti kaise kare (नेनुआ) तोरई की उन्नत खेती कैसे करे पूरी जानकारी हिंदी में

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हेल्लो दोस्तों 
हुसैन टेक्निकल में आपका स्वागत है क्या आप भी तोरई की खेती  करने की सोच रहे है तो आप बिलकुल सही जगह पर आये है तोरई की खेती लगभग पुरे भारत में की जाती है लेकिन इसकी खेती मुख्य रूप से केरल ,उड़ीसा , कर्नाटक बंगाल,उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है  यह बेल पर लगने वाली सब्जी है लेकिन आप इसको कही पे भी ऊगा सकते है इस सब्जी को सभी लोग पसंद करते है यह सब्जी ठंढी  होती है 

तोरई की खेती कब की जाती है ?

तोरई की खेती ज्यादा तर जनवरी से मार्च और जून से जुलाई महीने में की जाती है


 तोरई की खेती के लिए भूमि का चुनाव ?

तोरई की खेती को हर मिटटी पर की जा सकती है लेकिन हलकी मिटटी और दोमट मिटटी इसके लिए अच्छा होता है इस मिटटी में उचित जल निकास की छमता होती है  इसकी खेती आप नदियों के किनारे भी कर सकते है ये सब मिटटी पे तोरई की खेती अच्छी होती है पहली जुताई मिटटी को पलटने वाले हल से करे खेत की तैयारी में मिट्टी भुरभुरी हो जानी चाहिए यह फसल अधिक निराई वाली फसल है 

खाद कैसे डाले ?

तोरई की अच्छी फसल के लिए कम्पोस्ट खाद का होना बहुत ही जरुरी है या गोबर की खाद को जुताई करने से पहले पुरे खेत में डाले ताकी पुरे खेत में मिल सके और आपको ध्यान देने वाली बात है की कही आपके खेत में कीड़े तो नहीं है अगर आपके खेत में कीड़े है तो आप फोरेट का भी इस्तेमाल करे  अगर आप अच्छी हरियाली चाहते है तो आप जाइम भी 250 ग्राम कठा के हिसाब से डाले ताकि उपज होतो आपके खेत में हरियाली हो जाइम डालने से आपके खेत में फसल को पीला नहीं होने देता है 

तोरई की प्रजातिया 

पूसा नारदार ,कोयम्बुर 1 ,कोयम्बुर 2 ,पूसा चिकनी कल्याणपुर चिकनी ,राजेंद्र नेनुवा 1 etc. 
आपको ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं है आप जिस दुकान से बीज लेंगे आप उससे अच्छे बीज ले ले कभी भी अच्छे कंपनी के ही बीज बोये अगर आप दुकान वाले से पूछेंगे तो वो आपके लिए अच्छे बीज दे सकते है आप जिस तरह के बीज बोना चाहते है 
खरपतवार 

खरपतवार की अच्छे से देखभाल करे जब भी आपके खेत में खरपतवार हो उसको निकाल कर बाहर फेक दे 
बुवाई कैसे करे ?
आप पहले सोच ले की आप कैसे मिटटी पे तोरई को बोना चाहते है उसके हिसाब से ही बीज तैयार करे और बहुत
सारे लोग घर में इसकी बुवाई भी करते है लेकिन अगर आप खेत में इसकी बुवाई  करते है बीज को १ इंच से जीरा अंदर न बोये बीज को ज्यादा नीचे बोने से बीज अंकुरित नहीं हो पाते बीज को बोन से पहले उसकी जांच करले बीज सही अंकुरित हो रहा है या नहीं बीज को अंकुरित चेक करने के लिए बीज को पानी में लगभग १२ घंटे तक फुला दे उसके बाद उसको  निकाल कर के सुत्ती कपडे में बांध कर कही अच्छे जगह पर रख दे 
२ दिन के बाद उसको खोल कर चेक कर ले की वो अच्छे से अंकुरित हो रहा है  या नहीं अगर अंकुरित हो जाता है तो आप उससे बो सकते है 
अगर आप अच्छे कंपनी का बीज बोये है तो  जब  फसल 2 फिट का हो जायेगा तभी से उसमे फूल आना सुरु हो जायेंगे 
सिचाई प्रबंधन ?
अगर आप गर्मी के दिन में फसल को बुवाई कर  रहे है तो आप 3  ,4 ,दिन में सिचाई करना होगा अगर बर्षा  का समय है तो वो बारिश के ऊपर निर्भर होता है आप खुद चेक कर ले की आपके खेत  कहीं नमी कम तो  नहीं न है अगर नमी कम होती है तो उसकी सिचाई जरूर करे 
लेकिन बात रही ख़त्म नहीं होती आपको इसका ध्यान भी रखना होगा क्यूंकि इसमें बहुत सारी बीमारिया भी लगती है उसके लिए भी आपको कुछ रोकथाम की जरुरत है 
तोरई में लगने वाली बीमारिया ?
लालड़ी :-जब पौधों पर २ पत्तिया निकली है तब से कीड़ो का प्रकोप सुरु हो जाता है यह कीड़े फूलो और पत्तियों को खा जाते है यह किट की सुंडी भूमि के अंदर घुसकर पौधों को जड़ से काट देते है उसकी वजह से आपका पौधा सुख सकता है 

रोकथाम :-इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा और माइक्रो झाइम में मिला कर पुरे फसल पर अच्छे से छिड़काव करे इससे उन कीड़ो को रोका जा सकता है 
 फल की मक्खी :- यह ये ऐसी किस्म की मक्खी है  जो फलो में प्रवेश कर जाती है और वही पे अंडे दे देती है और इससे हमें काफी नुकसान भी जाता है 
रोकथाम :- इसके रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा और माइक्रो झाइम को आपस में मिला कर अच्छे से पुरे फसल पर छिड़काव करे इसके छिड़काव से इनसे बचा जा सकता है 
सफ़ेद ग्रब :- यह एक ऐसे कीड़े है जो जमीन में घुसकर फसल को जड़ से काट देते है और इनके वजह से हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है 
रोकथाम :- इसके रोकथाम के लिए मैंने पहले ही बताया था की हो सके तो मिटटी में बुवाई के पहले फोरेट का इस्तेमाल करे या नीम का खाद का भी प्रयोग करे 
चूर्णी फफूंदी :-यह रोग अरिसाइफी सिकोरेसियम नमक फफूंदी के कारण होता है इससे कई लोग फफूंदी रोग भी  कहते है यह सफ़ेद दरदरा गोल जाल सा दिखाई देती है जो बाद में बहुत ही बढ़ जाती है और हमारा पीला पड़कर सुख जाता है और हमें इसके वजह से भी नुकसान उठाना पड़ता है इससे पौधे की बढ़वार भी रुक जाती है
रोकथाम :-इसके लिए भी नीम का काढ़ा बना कर माइक्रो झाइम के साथ अच्छा से मिला ले  उसका छिड़काव पुरे फसल पर अच्छी तरीके से करे 
मृदुरोमिल फफूंदी :-यह रोग स्युडोपरोनस्पोरा क्यूबेन्सस नामक फफूंदी के कारण होता है यह पत्तियों की निचली सतह पर कोणाकार धब्बे बन जाते है ऊपर से पिले लाल भूरे इससे बचने का भी उपाय है 

रोकथाम :- इसके रोकथाम के लिए नीम के काढ़ा और माइक्रो झाइम को अच्छे से मिला ले और पुरे फसल पर अच्छे से छिड़काव करे

मोजैक :- यह बीमारी  विषाणु के वजह से होता है इसके होने से पत्तियो की बढ़वार रुक जाती है इस बीमारी की वजह से फल में उपज कम होती है  यह रोग चैंपा द्वारा फैलता है

रोकथाम :-इस बीमारी से बचने के लिए या इसके होने पर नीम का काढ़ा और माइक्रो झाइम को अच्छे से मिला कर पुरे फसल पर अच्छे से छिड़काव करे

एन्थ्रेक्नोज :-यह रोग कोलेटोट्राईकम स्पीसीज के कारण होता है  यह रोग लगने के बाद पत्तियों और फलो पर लाल रंग के और काले रंग धब्बे हो जाते है और ये धब्बे बाद में आपस में मिलकर बड़े बन जाते है

रोकथाम :- इस बीमारी से बचने  के लिए बोन से पहले नीम का तेल या केरोसिन उपचारित कर बोये और खेत को खरपतवार से मुक्त रखे जब भी खरपरतवार खेत  उसे निकल कर बाहर फेक दे ताकि इस बीमारी से बचा जा सके
मैं आपको बताता चालू की अगर आप अच्छी कंपनी  बीज बोते है तो आपको ये सारे फायदे हो सकते है
फल ३० दिन में आने सुरु हो जाती है एक अगर हम उसकी वजन की बात करे तो एक फल की वजन 120 ग्राम से लेकर 200 ग्राम तक होगा  अगर उसकी लम्बाई 20  cm से 30 cm तक होगा  फलो को छोटी अवस्था में ही तुड़ाई कर ले अगर समय से तुड़ाई  नहीं करते है तो इनके गुणों में कमी आजाती है और बाजार में भाव मिलता है

मुझे उम्मीद है की आपने तोरई की खेती के बारे में अच्छे से समझ लिया होगा अगर आपका कोई सवाल है  तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है या आप हमें अच्छी बीज के लिए संपर्क कर सकते है 
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